डिस्क्लेमर:
यह लेख पूरी तरह से एक काल्पनिक कहानी पर आधारित है। इसमें वर्णित पात्र, घटनाएं और परिस्थितियां लेखक की कल्पना का परिणाम हैं। इनका किसी भी वास्तविक व्यक्ति, स्थान या घटना से कोई संबंध नहीं है। यह सिर्फ पाठकों को जागरूक करने और कानूनी जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसे किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह न समझा जाए।
सुबह के करीब 07:30 बज रहे थे। उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के ग्राम बिजनौर में खेत की ओर काम पर जा रहे किसान मदनलाल ने नाले के किनारे पर एक मृत शरीर को देखा। यह बात उसने सबसे पहले गांव के सरपंच को बताई। खबर फैलते ही समस्त ग्रामवासी घटनास्थल पर इकट्ठा हो गए।
सरपंच द्वारा सूचना दिए जाने के कुछ समय बाद पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंच गई। उस जगह से लोगों को हटाकर उत्तर प्रदेश पुलिस ने जांच की कार्रवाई प्रारंभ की। मृतक के शरीर को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। साथ ही उसकी पहचान गांव के ही निवासी महेन्द्र प्रसाद के तौर पर की गई।
उस जगह की छानबीन किए जाने पर वहां पुल के ऊपर मृतक के जूते भी बरामद हुए। पुलिस को कुछ ऐसे सबूत भी मिले जो आगे की छानबीन में काम आ सकते थे। इन सबूतों के बारे में हम कहानी के साथ-साथ जानेंगे।
पुलिस द्वारा गांव वालों से पूछताछ का काम शुरू किया गया। मृतक के साथ किसी की भी दुश्मनी, जमीन विवाद, पैसे संबंधी विवाद, किसी प्रकार की लड़की का मामला होने इत्यादि प्रकार की जानकारी एकत्रित की गई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और घटनास्थल से क्या-क्या मिला?
मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने से यह साफ हो गया था कि उसकी मृत्यु सिर पर पीछे से कुल्हाड़ी से वार करने से हुई थी। साथ ही घटनास्थल पर मृतक का शव देखे जाने से लगभग 10 से 12 घंटे पूर्व ही उसकी मृत्यु हो चुकी थी। जांच में घटनास्थल से मृतक के जूते एवं किसी कीटनाशक के छिड़काव किए जाने के सबूत भी प्राप्त हुए।
पुलिस को आशंका थी कि कीटनाशक का छिड़काव खून के धब्बे मिटाने की मंशा से किया गया होगा एवं इसे आत्महत्या के रूप में दिखाने का भी प्रयास किया गया था।
जब मिला पहला गवाह
गांव के ही रहने वाले दंपत्ति सावित्री और हितेष ने एक महत्वपूर्ण सुराग पुलिस को दिया। उन्होंने बताया कि शाम को जब वो पुल के किनारे से गुजर रहे थे, तब उन्होंने जीतेश को कीटनाशक का छिड़काव करते हुए देखा था। जीतेश ने जब उन्हें देखा तो वह वहां से चला गया।
यह जानकारी मिलते ही जीतेश को हिरासत में ले लिया गया। थाने में कड़ाई से पूछताछ किए जाने पर जीतेश ने इस राज से पर्दा उठा दिया। उसने स्वीकार किया कि वह खून के धब्बे मिटाने की मंशा से ही वहां कीटनाशक का छिड़काव कर रहा था। कीटनाशक के छिड़काव के लिए वह पड़ोसी से मशीन मांगकर लाया था, जिसे बाद में पुलिस द्वारा बरामद कर लिया गया।
जीतेश ने आगे बताया कि उसे ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया था। गांव के ही रहने वाले वेदप्रकाश ने उसे जान से मारने की धमकी देकर ऐसा करने को कहा था। साथ ही जीतेश को पैसे और शराब का लालच भी दिया गया था।
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
जीतेश द्वारा दी गई सूचना के आधार पर वेदप्रकाश को हिरासत में लिया गया। शुरुआत में तो वह मामले के संबंध में कुछ भी न जानने की बात करता रहा, मगर पुलिस की कड़ी पूछताछ से आखिरकार उसने सच कबूल ही लिया।
वेदप्रकाश ने विस्तारपूर्वक बताया कि वह शाम के समय घर पर शराब पीते हुए बैठा था। तभी वहां हीरालाल अपने किसी रिश्तेदार के यहां विवाह कार्यक्रम में जाने की बात कहकर बाइक मांगने आया। वेदप्रकाश द्वारा हीरालाल को बाइक न दे पाने की बात कही गई।
बाइक न दिए जाने से हीरालाल बेहद आक्रोशित हो उठा और उसने वेदप्रकाश के साथ गाली-गलौज करना शुरू कर दिया। देखते ही देखते मामला इतना बढ़ गया कि दोनों में मारपीट शुरू हो गई।
इस मारपीट को संभालने के लिए महेन्द्र प्रसाद भी बीच-बचाव करने आया। तब गुस्से से तमतमाए हुए वेदप्रकाश ने हीरालाल को गहरा आघात पहुंचाने के उद्देश्य से उस पर कुल्हाड़ी से वार किया, जो कि बीच-बचाव में उतरे हुए महेन्द्र प्रसाद के सिर में जा लगा।
सिर पर गहरी चोट लगने से महेन्द्र प्रसाद वहीं गिरकर दर्द से तड़पने लगा और थोड़ी देर में ही उसने अपने प्राण त्याग दिए। महेन्द्र प्रसाद को मृत अवस्था में देख वेदप्रकाश और हीरालाल दोनों बेहद घबरा गए। इस घटना के समय वेदप्रकाश की पत्नी सुशीला भी वहीं मौजूद थी।
पुलिस को गुमराह करने की बनाई योजना
तीनों आरोपी – वेदप्रकाश, सुशीला और हीरालाल – ने मिलकर महेन्द्र के मृत शरीर को पास के नाले के किनारे फेंकने की योजना बनाई। वे महेन्द्र को उठाकर नाले के पास ले गए। पीछे-पीछे सुशीला, महेन्द्र के जूते लेकर आई। जूतों को उन्होंने पुल के ऊपर और शव को पुल के नीचे रख दिया, जिससे ऐसा लगे कि महेन्द्र ने खुद ही आत्महत्या कर ली हो।
उन्होंने पुलिस को गुमराह करने के लिए इस हत्या को आत्महत्या की तरह दिखाने का पूरा प्रयास किया। इतना ही नहीं, जब पुलिस द्वारा छानबीन शुरू कर दी गई थी, तब भी वेदप्रकाश ने सबूत मिटाने का पूरा प्रयास किया।
उसने अपने भतीजे जीतेश को, जो कि नाबालिग था, उसके घर जाकर जान से मारने की धमकी देकर खून के धब्बे मिटाने को कहा। साथ ही उसे पैसे और शराब का लालच भी दिया गया।
सबूत मिटाने के लिए जीतेश पड़ोसी से कीटनाशक छिड़कने वाली मशीन मांग लाया और पुल के ऊपर रात में जाकर छिड़काव करने लगा, ताकि खून के धब्बे धुल जाए।
ऐसा करते हुए उसे गांव के एक दंपत्ति – सावित्री और हितेष – ने देख लिया। जब जीतेश ने उन्हें अपनी ओर आते हुए देखा तो वह वहां से चला गया।
इस प्रकार पुलिस की सूझबूझ और गांव वालों द्वारा सही जानकारी दिए जाने से पूरे मामले का खुलासा हो पाया।
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इन धाराओं में हुई कार्यवाही
मृतक की मृत्यु वेदप्रकाश द्वारा हत्या की नीयत से महेन्द्र प्रसाद के सिर पर कुल्हाड़ी से वार किए जाने से हुई है। यह अपराध भारतीय दंड संहिता की धारा 103(1), 238, और 3(5) के तहत पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
इस प्रकरण पर अभी कार्यवाही चल रही है। अंतिम निर्णय कोर्ट द्वारा लिया जाएगा, जिसके बाद सजा के लिए इन अपराधियों को जेल भेज दिया जाएगा।
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