ये है वैष्णवी की भावुक और संघर्ष भरी कहानी। Heart Touching Emotional Story
ये है वैष्णवी की कहानी जो बचपन से ही अपना जिम्मेदारी निभा रही थी।
वो बिलासपुर के रहने वाले मिडिल क्लास फैमिली से थी।
उसके घर में पिता (कमल), मां (पारवती), एक छोटा भाई विष्णु था।
उसके पापा एक मामूली से दुकान में वर्कर थे।
लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया था।
वैष्णवी 12वीं कक्षा में और विष्णु 7वीं कक्षा में पढ़ रहे थे।
उनकी जिंदगी अच्छी तरह एक खुशी परिवार की तरह चल रहा था।
एक दिन अचानक से उनके घर में ऐसी मुसीबत आ गई| जिसकी उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी।
परिवार की बेचैनी
एक दिन रात के 9बज चुके थे पर कमल अभी तक घर नहीं आया था।
पारवती काफी परेशान हो जाती है।
वे तुरंत ही कमल को कॉल करती है किन्तु उसका फोन बंद आ रहा था
फिर तुरंत वो कमल के मालिक सुरेश को कॉल करती है।
उनसे कमल के बारे में पूछती है तब वो जवाब देते हैं-
तो वो कहते है! न्हीं कमल तो 7बजे से घर के लिए निकल गया है।
ये सुनकर पारवती के हाथ-पैर सुन पड़ जाते है और वो सोच में पड़ जाती है।
तुरंत ही वैष्णवी के पास जाकर वो कमल के बारें में सारी बातें बताती है।
कहती है- देखो बेटा! तुम्हारे पापा अभी तक घर नहींे आये है।
उन्हें तो दुकान से निकले काफी समय हो गया है।
तब वैष्णवी अपनी मां को दिलासा देते हुए कहती है!
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एक दिन राहुल के पास दिल्ली से ऑफर आया —
हां मां तुम परेशान मत हो पापा कहीं दोस्तों के बीच बैठ गए होंग
रूको मैं रमेश काका के यहां काकी से पूछ कर आती हुं।
इतना कहकर वो रमेश के यहां चली जाती है पर वहां भी उसके पापा का कुछ पता नहीं चलता हैं।
अब रात के 11बज चुके थे और रमेश का कुछ पता नहीं चलता है।
पूरा परिवार सोच में पड़ा था। आखिर वो अचानक से कहां चला गया है।
अचानक से पारवती के फोन की घंटी बजती है।
उसके बाद जो उस काल मे बातें पारवती से की जाती है।
उसे सुनकर वो बेहोश हो जाती है। वैष्णवी भी अपनी मां को बेहोश देखकर चिंतित हो जाती है।
वो तुरंत रसोई में जाकर पानी लाती है और अपनी मां के चेहरे पर छिंटा लगाती है।
वो हड़बड़ाकर उठती है और सीधे दरवाजे की ओर जाती है। वैष्णवी भी पीछे-पीछे जाती है।
उसकी मां सीधे पुलिस स्टेशन की ओर जा रही थी। ये देख वैष्णवी बहुत परेशान हो गई।
वहां जाकर पता चला की किसी ने कमल की चाकू मारकर हत्या कर दी है।
रहस्यमय फोन कॉल जिसने वैष्णवी की दुनिया बदल दी
ये सुनकर 18साल की मासूम वैष्णवी के पैरों तले जमीन खिसक गई।
अब डेडबॉडी की पहचान के लिए पारवती को हॉस्पिटल ले जाया गया।
उन्होंने वहां पहुंचकर देखा तो वो कमल की ही बॉडी थी।
पारवती पुलिस वाले से बोली!
सर इनका तो किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं था।
तो कौन है जो इनसे इस तरह बेदर्दी से मारकर बदला लिया।
अब कमल को घर लाया। उसका पुरा परिवार इकट्ठा हुआ और उसका अंतिम संस्कार किया गया।
अब रात होने को थी। धीरे-धीरे सब घर जाने लगे थे।
तब रमेश की बेटी रेखा वैष्णवी के पास आकर बोलती है!
अब क्या होगा? तेरा आगे का पढ़ाई, विष्णु की पढ़ाई ये सब तुमलोग कैसे मैनेज करोगे?
तब वैष्णवी उसे जवाब देते हुए कहती है! दिमाग तो अशांत है पर मन से मुझे कठोर बनना होगा |
ऐसे भी पापा कहते थें कि हर परिस्थिति का सामना हमें दटकर करना चाहिए।
अब सवाल ये था कि –
क्या करेगी आगे वैष्णवी वो आगे की पढ़ाई कर पाएगी ?
या फिर वो लोंगों की बातें सुनकर घर में बैठकर रोएगी?
वो पूरे घर को कमल की तरह फिर से खुशहाल परिवार बना पाएगी ?
क्योंकि इतनी कम उम्र में पारिवारिक समस्याओं,अस्थिर दिमाग और लगातार आत्मदोष से निकलना इतना आसान नहीं होता ?
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