ऐडवेंचर का फैसला
कैंपिंग का विचार मास्टर्स के नोट्स की तरह अचानक आया —
कॉलेज की छुट्टियाँ चल रही थीं और ह्रितिक, देव, ऋषब, वंशिका और अनामिका कुछ दिन दूर जंगल में बिताने गए।
शाम ढलते ही उन्होंने छोटी-सी चौकोर आग बनाई, बैकपैक लगाये और मोबाइल चार्जर, टॉर्च, और एक-एक अतिरिक्त बैटरी साथ रखी।
असलियत यह थी कि वे शहर से ज्यादा दूर नहीं गए थे, पर जंगल का माहौल पुरा अलग था — दूर-दूर तक पेड़, हवा में ठंडक और मोबाइल नेटवर्क कमजोर।
वंशिका ने हवा बदलते हुए कहा, “गाँव वाले कहते हैं कि यहाँ रात 11 बजे के बाद निकलना मना है।”
ह्रितिक ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “ऐसी बातें अक्सर सुनने को मिलती हैं — कोई दुखी आत्मा या पुराना हादसा।”
ऋषब ने तर्क दिया, “देखो अभी 12:30 हो रही है, कुछ भी हुआ होता तो दिखता।”
लिहाज़ा बात मज़ाक में कट गई, पर अनामिका का चेहरा बेचैन दिखा — वो अक्सर अँधेरे में असहज रहती थी।
कार की बैटरी, स्पार्क प्लग या की-इग्निशन की छोटी-सी खराबी भी गाड़ी स्टार्ट न होने का कारण बन सकती है;
टॉर्च की बैटरी खत्म होना या फोन में लो-बैटरी चेतावनी वास्तविक घबराहट बढ़ा देती है।
दोस्तों ने अपने सामान में एक रैडियो और एक छोटा पावर बैंक रखा हुआ था, पर वे सभी बहुत दूर-परदूर तक सिग्नल नहीं पा रहे थे।
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अचानक अनामिका (पहले लिखी तरह — अंशिका) उठकर जंगल की ओर चली गई।
कुछ देर बाद उसकी तेज़ चीख गूंज उठी। दोस्त दौड़े — जो दृश्य मिला, उसने सबका होश उड़ाया।
अनामिका गंभीर रूप से घायल मिली थी; खून और ज़ख्म का भयानक दृश्य था।
ऐसी स्थितियों में पहला कदम — सुरक्षित जगह तक ले जाना, सबसे नज़दीकी एंबुलेंस/पुलिस को कॉल करना और घायलों को बेसिक प्राथमिक उपचार देना होता है।
जैसे ही वे भागकर अपनी कार तक पहुंचे और गाड़ी स्टार्ट करने लगे — कार एकाएक क्रैंक नहीं कर रही थी। तभी जंगल से एक भारी, घिस्टी-सी आवाज़ आई:
“तुम सबको मैं मार दूंगा… मुझे तुम्हारा खून चाहिए…”
यह आवाज़ अति-प्रकृतिजनित और भयावह थी — पर यथार्थ में ऐसा भी हो सकता है कि कोई इंसान (या जानवर) दूर से आवाज़ निकालकर डराने की कोशिश कर रहा हो।
सच्चाई का पता लगाने के लिए बचने और सुरक्षित स्थान पर पहुंचने की जरूरत थी।
वे जोर-जोर से कार की तरफ भागे, पर कार स्टार्ट नहीं हो पाई। उसी बीच वंशिका के पीछे से कुछ निकला और कुछ सेकंडों में घातक हमला हो गया।
ऋषब, ह्रितिक और देव बुरी तरह डरे हुए थे — वे गाड़ी से बाहर कूदे और जंगल की तरफ दौड़े।
(रियलिटी नज़र: घबराहट में लोग अक्सर अलग-अलग दिशाओं में भाग जाते हैं — यही भ्रम बचाव में बड़ी बाधा बनता है।
समूह के साथ रहकर एक सुनियोजित रास्ता निकालना ज़रूरी था।
अंत: रहस्य या वास्तविकता ?
पुलिस ने इलाके में छापा मारा, पुराने विवाद और मनोवैज्ञानिक ट्रिकिंग का निशान मिलता है —
कोई साज़िश थी जिसमें अँधेरे और अफ़वाहों का फ़ायदा उठाया गया।
घटना ने समुदाय को आगाह कर दिया कि बिना सुरक्षा के घने जंगल में रात बिताना कितना जोखिम भरा हो सकता है।
संभावित व्यावहारिक प्रतिक्रियाएँ (रियलिटी गाइड)
- अगर ऐसी घातक घटना सामने आए तो सबसे पहले 112/100 जैसे लोकल इमरजेंसी नंबर पर कॉल करें।
- बिना जांच किए किसी घायल को बहुत ज़्यादा हिलाना खतरनाक हो सकता है; जहाँ तक संभव हो, प्राथमिक उपचार दें और स्थिर रखें।
- समूह में अलग न हों — रेडियो या फ्लैशर इत्यादि से बत्ती जलाएँ ताकि बचाव दल आपको पहचान सके।
- रात के समय वन्यजीव भी आ सकते हैं — इसलिए छिपकर, शोर कर के या आग सँभाल कर रखें।
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